Monday, June 1, 2020

 डिमेंशिया (मनोभ्रंश )क्या होता है


डिमेंशिया मानसिक कमजोरी मैं आती  है  !  इसमें सोचने समझने और याद रखने की क्षमता कम हो जाती है !

डिमेंशिया से परेशान व्यक्ति समाज में एक साथ बैठने व बात करने की क्षमता को खो देता है ! वह एक दूसरे से वार्तालाप करने की क्षमता भी उसके अंदर नहीं रहती है  ! कोई सामान को रखकर भूल जाता है और दिनचर्या के जो उसके रोजमर्रा के जो काम होते हैं  !उसको भी वह ठीक ढंग से नहीं कर पाता है ! उसके मन में हमेशा बना रहता है कि यह काम मैंने किया है या नहीं किया इसी में वह उलझा रह जाता है !

इस बीमारी की शुरुआत ज्यादा चिंता तनाव व डिप्रेशन से शुरू होती है और धीरे-धीरे यह बढ़ती चली जाती है  !
ज्यादातर लोगों को 30 से 35 साल के बाद इस बीमारी की शुरुआत होती है और ऐसा नहीं है किसका इलाज किया जाए तो यह ठीक नहीं होती इलाज करने पर आराम भी आ जाता है और रोगी व्यक्ति बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है ।

इस बीमारी में कई लोगों को नींद से संबंधित समस्याएं तंग करती हैं !व मन में हमेशा वहम बना हुआ रहता है ! जिसे भ्रम रोग बोलते हैं !

इस बीमारी में कई बीमारियों के लक्षण मौजूद होते हैं 

 कई लोग जो डिमेंशिया की बीमारी से परेशान होते हैं  ! उनका  नर्वस सिस्टम ठीक ढंग से काम नहीं करता है ! जिसके कारण वह अपनी एक्टिवा स्कूटर मोटरसाइकिल ठीक ढंग से नहीं चला पाते हैं !वह खुद भी ठीक ढंग से चल फिर नहीं पाते अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर पाते हैं ! हर काम को करते समय लड़खड़ाते रहते हैं !व शरीर में कंपन महसूस करते रहते हैं !

इस बीमारी की शुरुआत में व्यक्ति सिर्फ चिंता रखता है ! मगर जैसे-जैसे इसकी बीमारी की स्टेज बढ़ती जाती है ! वैसे वैसे वह डिप्रेशन उसका बढ़ने लग जाता है और उसका नर्वस सिस्टम इतना कमजोर हो जाता है कि वह अपने रोजमर्रा का काम भी ठीक ढंग से नहीं कर पाता हमेशा तनाव में रहता है और वहम बना रहता है और जो भी कोई कामकाज करता है  ! तो उसमें वह लड़खड़ाता है या कंपन महसूस करता है  ! वह उस काम को ठीक ढंग से नहीं कर पाता है  !कई बार तो वो इतना परेशान हो जाता कि ठीक ढंग से बैठने चलने फिरने से भी लाचार हो जाता है !

इस बीमारी से परेशान कई लोग ऐसे भी होते हैं !
जो आपसे बात करते समय आपकी बातों को ठीक ढंग से समझ नहीं पाते और और आपकी बातों को उसका ठीक ढंग से उत्तर भी नहीं दे पाते हैं ! मतलब इसमें भाषा को बोलने व समझने की क्षमता भी कम होती चली जाती है !

डिमेंशिया (भूलने की बीमारी व मनोभ्रंश )रोग के लक्षण  है।



ज्यादातर लोगों में भूलने (याददाश्त) की समस्या ज्यादा रहती है !अगर आपने ऐसे लोगों को कोई काम कह दिया तो बार-बार भूल कर आपसे बार-बार वह काम को दोबारा दोबारा पूछते रहेंगे।

भूलने की समस्या तो इतनी बढ़ जाती है कि वह अपना फोन नंबर अपना घर का पता अपने रिश्तेदारों का नाम तक भूल जाते हैं।

बहुत से लोगों में सोचने समझने की क्षमता कम होती चली जाती है !जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती जाती है ! वह आपकी बात को सुनकर उसका उत्तर देने में असमर्थ हो जाते हैं । उनकी सोचने समझने की क्षमता को खोती चली जाती हैं।

बहुत से लोगों में कामकाज करने की क्षमता भी खत्म होती चली जाती है ! क्योंकि वह अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर पाते जैसे खाना बनाना साइकिल चलाना एक्टिवा मोटरसाइकिल चलाना ठीक ढंग से अपना रोजाना का  काम होता है उसे भी वह ठीक ढंग से नहीं कर पाते हैं।

ऐसे लोगों की कई बार तो इतनी समस्या बढ़ जाती है ! कि वह कहीं काम पर जा रहे होते हैं!  तो उन्हें पता नहीं चलता कि वह काम क्या करने जा रहे हैं कहां से आए हैं कहां जाना है।

उनका मूड भी कई बार अच्छा होता है ! कई बार एकदम से खराब हो जाता है ! मूड( व्यवहार) जिसे बोलते हैं व्यवहार बार-बार बदलता रहता है पैसे लेनदेन की समस्या रहती है किस से कितने लेने हैं किसको  कितने देने हैं।

कई व्यक्ति तो ऐसे होते हैं जो बार-बार किसी सामान को कहीं रखकर भूल जाते हैं।
व्यवहार में कभी खुश होंगे कभी चिड़चिड़ापन कभी अचानक एकदम गुस्सा हो जाएंगे।


 डिमेंशिया मनोभ्रंश होने के कारण


डिमेंशिया ज्यादातर होने का कारण इसमें यह पाया जाता है ! कि मस्तिष्क के ऊपरी परत से जुड़ा हुआ सेरेब्रल कोरटेक्स होता है  !जो हमारी सोचने समझने व भाषा को बोलने और विचारों को व्यक्त करने के लिए उत्तरदाई होता है मगर कई कारणों से उसमें जब गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है ! तब डिमेंशिया( मनोभ्रंश या भूलने) की बीमारी की शुरुआत होने का कारण बन जाता है ।

 ज्यादातर लोगों को ज्यादा चिंता रखने व ज्यादा दिनों तक टेंशन में रहने के कारण दिमाग में उत्पन्न होने वाले जो रसायनों जिसे हम केमिकल्स कहते हैं ! उनमें असंतुलन हो जाता है जिसके कारण डिमेंशिया( मनोभ्रंश) रोग उत्पन्न हो जाता है।

बहुत से लोगों को देखा जाता है कि नशीली चीजों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं ।

 कुछ लोग शरीर में पोषण पहुंचाने वाली वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं करते जिससे शरीर में पोषण की कमी हो जाने के कारण डिमेंशिया की बीमारी हो जाती है ।

कई लोगों के हार्मोनस  के असंतुलन के कारण हो जाती है ।
कई लोगों को देखा जाता है कि थायराइड की बीमारी या मेनिनजाइटिस  रोग, या सिफलिस रोग के संक्रमण के कारण भी डिमेंशिया की शिकायत हो जाती है।

कई लोगों को सिर में चोट लगने व सिर में कोई गांठ उत्पन्न होने के कारण भी डिमेंशिया (मनोभ्रंश )रोग की शिकायत हो जाती है।

बहुत से लोगों को देखा जाता है कि ज्यादा चाय कॉफी या बाजार की तली फली ज्यादा चीजें खाने की वजह से पेट में गर्मी उत्पन्न होती है !और वही गर्मी खून में मिलकर सिर तक पहुंचती है जिसे खराब खून या खराब ऑक्सीजन युक्त खून कहते हैं  ! जिसके कारण से डिमेंशिया रोग उत्पन्न हो जाता है।

कई लोगों के लिवर, आंतों ,अग्नाशय व गुर्दों में खराबी उत्पन्न होने के कारण रक्त में मौजूद रसायनों में असंतुलन हो जाता है और वही असंतुलित रक्त जब दिमाग तक पहुंचता है तो दिमाग में मौजूद रसायनों में भी असंतुलन पैदा करके डिमेंशिया रोग को उत्पन्न करने का कारण बनता है।

कई लोगों को मस्तिष्क में कई कारणों से असामान्य मात्रा में प्रोटीन जमा हो जाता है  ! जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं काम नहीं कर पाती और और नष्ट होने लग जाती हैं जिससे डिमेंशिया रोग को उत्पन्न करने का कारण बनती  हैं ।
कई लोगों को शुगर के कारण हाई बीपी के कारण या कोलेस्ट्रोल ज्यादा रहने के कारण भी  नसे नाड़ियों में रुकावट उत्पन्न हो जाती है ! जिसके कारण डिमेंशिया (मनोभ्रंश )रोग उत्पन्न हो जाता है !

 बहुत से लोगों का खान-पान व रहन-सहन गलत होने के कारण उनका वात पित्त कफ दोष असंतुलित हो जाता है और यही दोष मस्तिष्क मैं जाकर रज और तम प्रकृति को असंतुलित दोष में बदल देता है और डिमेंशिया मनोभ्रंश रोग को उत्पन्न करने का कारण बन जाता है।

 डिमेंशिया से पीड़ित रोगियों के लिए फायदेमंद खान-पान व रहन-सहन


हरी साग सब्जियों का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए !
 अंकुरित मूंग का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए !
भीगे हुए बादाम या भीगी हुई अखरोट या भीगे हुए छुहारे का इस्तेमाल ज्यादा फायदेमंद होता है !
मौसम अनुसार जो फल आते हैं वह उन फलों का रस इस्तेमाल करना उनके लिए फायदेमंद होता है !
हरी साग सब्जियां जो मौसम के अनुसार आती है उनका इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद होता है !

भोजन के साथ सलाद का इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद होता है!

                         

 हरी साग सब्जियों का सूप बनाकर पीना भी बहुत फायदेमंद होता है! गाय का दूध गर्म करके पीना काफी ज्यादा फायदेमंद साबित होता है !
मछली खाना फायदेमंद होता है बदाम का तेल नाक में डालकर खींचना फायदेमंद होता है।
व्यायाम करना बहुत फायदेमंद होता है विराम अपनी रुचि के अनुसार कर सकते हैं जैसे साइकिल चलाना पैदल चलना दौड़ लगाना योगा करना या कसरत करना जो भी आपको पसंद हो आप उसे करके लाभ उठा सकते है।
रोजाना रात को 7:00 से 8 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी होता है
पानी 1 दिन में 8 से 9 गिलास पानी पीना बहुत फायदेमंद होता है।


डिमेंशिया से पीड़ित रोगियों के लिए परहेज


चिंता व तनाव से दूर रहना अच्छा है !
चाय कॉफी पीना
 बाजार की तली हुई चीजों का इस्तेमाल मत करें !
 नशीली चीजें जैसे धतूरा भांग सुल्फा शराब बीड़ी सिगरेट तंबाकू का इस्तेमाल मत करें !

बाजार का ताला खुला खाना नुकसानदायक हो सकता है !
तेज मिर्च मसाला खाना ज्यादा नमक खाना ज्यादा मीठा खाना इस बीमारी में नुकसानदायक होता है  !
     

डिमेंशिया (मनोभ्रंश )रोगी का उपचार

घरेलू उपचार

खरबूजा 50 ग्राम खीरा 50 ग्राम ककड़ी 50 ग्राम  तरबूज के बीज  50 ग्राम  अलसी के बीज 50 ग्राम लेने है दालचीनी 50 ग्राम इन सभी को लेकर  पीस कर पाउडर बनाकर सुबह शाम एक चम्मच पाउडर  को खाना खाने के 1 घंटे बाद गर्म गाय के दूध के साथ या गर्म पानी के साथ प्रयोग करने से डिमेंशिया मनोभ्रंश की बीमारी में बहुत फायदेमंद साबित होता है !

 आयुर्वेदिक उपचार


सतावर 50 ग्राम अश्वगंधा 50 ग्राम ब्राह्मी घास 50 ग्राम गुड बच 50 ग्राम इन सभी को लाकर पीसकर पाउडर बना लें इनका बना हुआ पाउडर एक चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी या गाय के गर्म दूध के साथ भोजन के 1 घंटे बाद प्रयोग करने से डिमेंशिया (मनोभ्रंश) रोग ठीक हो जाता है

रेडीमेड आयुर्वेदिक उपचार


ब्रह्मी घृता एक चम्मच सुबह-शाम भोजन के 1 घंटे बाद गाय के दूध के साथ प्रयोग करने से डिमेंशिया (मनोभ्रंश )रोग ठीक होता है

इस बीमारी में कुछ लोगों की बीमारी जड़ से ठीक हो जाते हैं परंतु कुछ लोगों  को  उम्र भर दवाई खानी ही पड़ती है।
           

                                 धन्यवाद   

Saturday, May 30, 2020





                                 कुटकी     

              
 कुटकी आयुर्वेदिक औषधियों में जड़ी बूटी में आती है !
कुटकी में बहुत से औषधीय गुण पाए जाते हैं जो हमारी बहुत सी बीमारियों को दूर करने में
 हमारी मदद करती है !
 कुटकी की तासीर ठंडी  होती है !

कुटकी को खाने की मात्रा


 1 से 3 ग्राम मतलब चौथाई चम्मच से आधा चम्मच के करीब हम सुबह शाम इसका इस्तेमाल भोजन के बाद या भोजन से पहले अपनी बीमारी के अनुसार कर सकते हैं !
इसको लेने का सही समय सुबह शाम होता है मगर कुछ बीमारियों में इसे सुबह दोपहर शाम भी ले सकते हैं !
कुटकी को लेने का सही तरीका पाउडर काढ़ा या हिम के रूप में इसका प्रयोग आप कर सकते हैं !
कुटकी को अगर निश्चित मात्रा में लिया जाए तो इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है ! कुटकी को बीमारी की स्टेज व बीमारी कितनी पुरानी है उस हिसाब से लेना पड़ता है ! उदाहरण के तौर पर अगर आप की बीमारी 1 से 3 महीने पुरानी है तो आप इसका इस्तेमाल 2 हफ्ते तक करें अगर आप की बीमारी 1 से 3 साल पुरानी है तो इसका इस्तेमाल एक से 3 महीने तक करेंगे तो आप की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाएगी !

 लिवर की बीमारी में लाभकारी होती है कुटकी


जिन लोगों के लिवर में इन्फेक्शन है या फैटी लीवर है या लीवर में सूजन है या लीवर खराब हो रहा है  !ऐसे लोग अगर गिलोय और कुटकी को बराबर मात्रा में पीसकर पाउडर बनाकर एक चम्मच सुबह-शाम भोजन से पहले गर्म पानी के साथ प्रयोग करते हैं ! तो लीवर वाली व से संबंधित सभी प्रकार के विकार दूर हो जाते हैं !

पीलिए को दूर करने में हमारी मदद करता है कुटकी


कुटकी और मकोय को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर इसको पाउडर बना लें और इस का बना हुआ पाउडर उसमें से आधा चम्मच सुबह आधा चम्मच शाम को भोजन के आधे घंटे बाद गर्म पानी के साथ प्रयोग करने से पीलिया की शिकायत 2 से 3 दिन में खत्म हो जाती  है !

 जलोदर रोग को दूर करती है कुटकी


जिन लोगों के पेट में पानी जमा हो जाता है और पेट फूल जाता है  !उसे जलोदर रोग कहते हैं !
ऐसे लोग जब पुनर्नवा की जड़ और कुटकी बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच सुबह-शाम गर्म दूध के साथ खाना खाने के बाद प्रयोग करते हैं तो उनका जलोदर रोग हमेशा के लिए ठीक हो जाता है !

कब्ज को दूर करती है कुटकी


जो लोग कब्ज की समस्या से परेशान हैं ऐसे लोग अगर हरण छोटी और कुटकी बराबर मात्रा में लेकर पीस के पाउडर बनाकर एक चम्मच रात को सोने से 2 घंटे पहले गर्म दूध के साथ प्रयोग करने से कब्ज की समस्या हमेशा के लिए दूर हो जाती है !

सभी प्रकार के बुखार को ठीक करता है कुटकी


जिन लोगों के शरीर में बुखार की शिकायत होती है ! उनके सिर में दर्द शरीर में टूटा पंक अभी ठंड लगना कभी गर्मी लगना और शरीर दिन-प्रतिदिन कमजोर होता चला जाता है ! ऐसे लोग अगर कुटकी चिरायता नेपाली और गिलोय आ तीनों को बराबर मात्रा में पीसकर पाउडर बना कर एक चम्मच सुबह-शाम भोजन के 1 घंटे बाद गर्म पानी के साथ प्रयोग करते हैं तो उनके सभी प्रकार का बुखार हमेशा के लिए दूर हो जाती है !

हेपाटाइटिस  को ठीक करती है कुटकी


हेपेटाइटिस में नागरमोथा कुटकी और कासनी तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पाउडर बना लें और एक चम्मच सुबह एक चम्मच शाम को खाना खाने के 1 घंटे बाद गर्म पानी के साथ प्रयोग करने से काला पीलिया जड़ से खत्म हो जाता है !

सिरोसिस  लिवर में लाभकारी होती है कुटकी

कुटकी और गिलोय को पीस के पाउडर बना लें एक चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी के साथ खाना खाने के 1 घंटे बाद प्रयोग करने से सिरोसिस लिवर की समस्या दूर हो जाती है !

सफेद दाग को ठीक करता है कुटकी


सफेद दाग में मंजीत खैरथल कुटकी और अनंत मूल बावची  पांचो को बराबर मात्रा में लेकर पीस के पाउडर बनाकर एक चम्मच सुबह एक चम्मच शाम को गर्म पानी के साथ भोजन के बाद प्रयोग करने से सफेद दाग की शिकायत नष्ट हो जाती है !

गठिया को ठीक करता है कुटकी


गठिया से परेशान व्यक्तियों को जोड़ों में दर्द की शिकायत सूजन की शिकायत जोड़ों में टेढ़ापन व शरीर में बुखार की शिकायत तंग करती है ! ऐसे में अगर गठिया से परेशान व्यक्ति चिरायता कुटकी अंबा हल्दी और सिंपल हल्दी की गांठ सभी को बराबर मात्रा में लेकर पीस के पाउडर बनाकर एक चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी के साथ खाना खाने के आधे घंटे बाद इस्तेमाल करता है ! तो कुछ ही समय में गठिया की शिकायत हमेशा के लिए ठीक हो जाती है और उससे संबंधित जो लक्षण होते हैं  !सूजन और बुखार की शिकायत भी जल्द ठीक हो जाती है !

 दाद एक्जिमा और चर्म रोगों में लाभकारी होती है कुटकी


कुटकी मनजीत और खजूर की छाल तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पाउडर बना लें ! एक चम्मच सुबह खाली पेट रोजाना इस्तेमाल करने से त्वचा से संबंधित सभी तरह के विकार जैसे खारिश खुजली दाद एक्जिमा सोरायसिस व कुष्ठ जैसी भयंकर बीमारियां भी दूर हो जाती है !

हृदय को ताकत देता है कुटकी


जो लोग हृदय की दुर्बलता से परेशान है ! उनको हमेशा छाती में भारीपन घबराहट और छाती में दर्द और थोड़ा सा काम करने पर सांस फूलता है  !ऐसे लोग अगर अर्जुन की छाल और कुटकी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पाउडर बना लें और एक चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी के साथ खाना खाने के 1 घंटे बाद प्रयोग
करते हैं  !तो उनके दिल की नसों व दिल को ताकत मिलती है हृदय संबंधित विकार भी दूर होते हैं !

 हिचकी को ठीक करता है कुटकी


जिन लोगों को फेफड़े दिल व पेट की बीमारी या गुर्दों की बीमारी के कारण हिचकी की समस्या उठ जाती है या गले में किसी परेशानी के कारण उनको हिचकी तंग करती है या ज्यादा मिर्च मसाला खाने से हिचकी तंग करता है  ! तो ऐसे लोग अगर मग पीपल और कुटकी और लॉन्ग तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पाउडर बना लें और चौथाई चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी के साथ खाना खाने के 1 घंटे बाद प्रयोग करते हैं ! तो किसी भी कारण से अगर उनको हिचकी की शिकायत तंग कर रही है वह हमेशा के लिए ठीक हो जाती है !

उल्टी को ठीक करता है कुटकी


जो लोग जी मिचलाना उल्टी से हमेशा परेशान रहते हैं ! ऐसे लोग अगर मुलेठी और कुटकी को बराबर मात्रा में लेकर पीस के पाउडर बनाकर आधा चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी के साथ भोजन के आधे घंटे बाद प्रयोग करते हैं  ! तो उनको जी मिचलाना उल्टी की शिकायत ठीक हो जाती है !

मोटापा घटाता है कुटकी

जो लोग अपना मोटापा घटाना चाहते हैं  !उनका शरीर में जरूरत से ज्यादा मात्रा में वसा जमा हुआ है ! ऐसे लोग कुटकी वावडिंग हरड़ का छिलका तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीसकर पाउडर बना लें एक चम्मच पाउडर सुबह एक चम्मच पाउडर शाम को भोजन से आधा घंटा पहले गर्म पानी के साथ प्रयोग करते हैं  ! तो शरीर की वसा भूल जाती है और मोटापा भी दूर हो जाता है !

शुगर व मधुमेह को ठीक करती है कुटकी


मधुमेह से परेशान व्यक्ति का शरीर धीरे-धीरे कमजोर होता चला जाता है और तरह तरह के रोग उसको तंग करते हैं  ! ऐसे में गिलोय आ कुटकी और गुरमार बूटी तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस के पाउडर बनाकर आधा चम्मच सुबह आधा चम्मच शाम को खाना खाने से एक घंटा पहले इस्तेमाल करने से अग्नाशय ताकतवर बनता है और शरीर के मुताबिक इंसुलिन तैयार करता है जिससे मधुमेह की शिकायत हमेशा ठीक हो जाती  है !

 कान दर्द को दूर करता है कुटकी


कान दर्द से परेशान लोग कुटकी ,काली जीरी ,चासकू को और  तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर आधा चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी के साथ पीने से कान दर्द आराम मिलता है ! वह इसके पाउडर का काढ़ा बनाकर उसका डैमेज हुई या सूती कपड़ा भिगोकर कान के नीचे और आसपास की मांसपेशियों की सिकाई करने से कान दर्द दूर हो जाता है !

 मुख में जखम मुख्य में छालों में लाभकारी होती है कुटकी

जो लोग मुंह के छालों से व मुंह में जख्म से परेशान है  ! अगर ऐसे लोग माजूफल हल्दी साबुत और कुटकी तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पाउडर बना लें और पाउडर में से एक चम्मच पाउडर एक कप पानी में डालकर अच्छे से उबालें पानी उबल कर आधा रह जाने
पर नीचे उतारकर छान कर ठंडा होने पर उसमें शहद मिलाकर उससे कुल्ला करने से मुंह में जखम वह मुंह में छाले व मुंह के समस्त रोगों को दूर करता है !

बच्चों के रैकेट्स रोग में लाभकारी होती है कुटकी


जो बच्चे बहुत ज्यादा कमजोर है  ! पेट बढ़ रहा है  ! मगर हड्डियां और शरीर कमजोर होता जा रहा है और खाया पिया लगता नहीं है ऐसे बच्चे को अगर तबाशिर कुटकी पीसकर पाउडर बनाकर दो चुटकी पाउडर एक चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम देने से रैकेट्स रोग की शिकायत दूर हो जाती है और खाया पिया लगने लग जाता और हड्डियां मजबूत हो जाती है !

कुटकी के नुकसानः

जिन लोगों का शुगर लो रहता है ! ऐसे लोग कुटकी का प्रयोग मत करें
जरूरत से ज्यादा मात्रा में कुटकी का इस्तेमाल मत करें क्योंकि इससे उल्टी दस्त चक्कर आना व घबराहट की शिकायत हो सकती है !
                                                   ***

                                   कशिश भस्म


 कशिश लेकर उसे भांग के काले में डालकर दोला यंत्र में शुद्ध किया जाता है ! उसके बाद उसे एलोवेरा के रस
में घुटाई करके टिकिया बनाकर उपले की आंच में फूंका जाता है फिर ठंडा होने पर उसे निकालकर पीसा जाता
 है तब मेहरून रंग की कशिश भस्म तैयार हो जाती है !

मात्रा इसकी 1 से 3 रत्ती होती है जिसे आप एक चुटकी से तीन चुटकी तक समझ सकते हैं  ! इसको आप शहद में मिलाकर या मलाई में मिलाकर या मक्खन में मिलाकर सुबह-शाम प्रयोग कर सकते हैं ! जब भी इसका प्रयोग करें भोजन के बाद इसका प्रयोग करें !
इसका इस्तेमाल करने से किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है !

इसका प्रयोग कितने समय करना है !


नई बीमारी है तो 1 से 2 हफ्ते अगर आपकी बीमारी पुरानी है तो 1 से 3 महीने तक इसका इस्तेमाल करें !

 मूत्र मार्ग में संक्रमण को ठीक करता है कशिश भसम


गोखरू पाउडर एक चम्मच उसमें कशिश बसम एक से दो चुटकी मिलाकर एक चम्मच शहद में दोनों चीजों को मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद आधे घंटे बाद प्रयोग करने से मूत्र मार्ग में संक्रमण खत्म हो जाता है !

शरीर में आई सूजन को खत्म करता है ! कशिश भस्म


इसके लिए पुनर्वास की जड़ का पाउडर बना लें एक चम्मच पुनर वाका जड़ उसमें एक से दो चुटकी कशिश भस्म मिलाकर एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम भोजन के आधे घंटे बाद प्रयोग करें !

अमाशय से संबंधित विकार को दूर करता है  !कशिश भस्म

कासस का पाउडर बनाकर आधा चम्मच कासनी का पाउडर ले एक से दो चुटकी कशिश बस हम उस में मिलाकर गर्म पानी के साथ भोजन के 1 घंटे बाद सुबह शाम प्रयोग करने से आमाशय से संबंधित सभी तरह के विकार दूर हो जाते हैं !

गठिया में लाभकारी होता है कशिश भस्म


कसीस भस्म एक से दो चुटकी अश्वगंधा पाउडर एक चम्मच में मिलाकर सुबह-शाम गाय के दूध के साथ भोजन के 1 घंटे बाद इस्तेमाल करने से गठिया की बीमारी दूर हो जाती है !

 दस्त और पेचिश में लाभकारी होता है कशिश भस्म 


बेलगिरी पाउडर एक चम्मच उसमें कशिश भस्म एक से दो चुटकी मिलाकर सुबह शाम भोजन के 1 घंटे बाद लस्सी या मट्ठे मैं मिलाकर प्रयोग करने से दस्त व पेचिश की शिकायत दूर हो जाती है !

 लिवर की तीली से संबंधित विकारों को दूर करता है  ! कशिश भस्म
भोजपुरी का पाउडर एक चम्मच उसमें एक से दो चुटकी कसीस भस्म मिलाकर सुबह-शाम एक चम्मच शहद मिलाकर भोजन के आधे घंटे बाद प्रयोग करने से लीवर वाली बल की तिल्ली से संबंधित सभी प्रकार के विकार दूर हो जाते हैं !

एनीमिया को दूर करता है कशिश भस्म


आंवला पाउडर एक चम्मच उसमें कसीस भस्म एक से दो चुटकी मिलाकर एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद आधे घंटे बाद प्रयोग करने से एनीमिया की शिकायत दूर हो जाती है !

रक्त पित्त की बीमारी में लाभकारी होता है कसीस भस्म


 शिकायत में नाक मूत्रमार्ग या गुदा मार्ग या शरीर में चोट लग जाने से खून निकलने लग जाता है जिससे वह वक्त जल्दी से बंद नहीं होता है ऐसे में कसीस भस्म एक से दो चुटकी नागकेसर पाउडर एक चम्मच और उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर भोजन के 1 घंटे बाद प्रयोग करने से रक्त पित्त की शिकायत दूर हो जाती है !

आंखों की रोशनी को बढ़ाता है कशिश भस्म


आंखों की रोशनी कमजोर होने से चश्मा लगवाने की जरूरत पड़ती है ऐसे में कशिश भस्म एक से दो चुटकी त्रिफला के पाउडर एक चम्मच शहद एक चम्मच मिलाकर भोजन के 1 घंटे बाद सुबह शाम प्रयोग करने से आंखों की रोशनी बढ़ाता है !

कफ दोष को संतुलित करता है कशिश भस्म


मुलेठी पाउडर एक चम्मच उसमें कसीस भस्म एक से दो चुटकी मिलाकर सुबह-शाम भोजन के आधे घंटे बाद गर्म पानी या गर्म दूध के साथ प्रयोग करने से शरीर में बढ़ा हुआ कफ दोष कम होकर संतुलित मात्रा में कफ प्रकृति में बदल जाता है !

 वात दोष को संतुलित करता है कशिश भस्म


अश्वगंधा पाउडर एक चम्मच लेकर उसमें एक से दो चुटकी कशिश भस्म मिलाकर सुबह शाम एक गिलास गर्म गाय के दूध के साथ प्रयोग करने से बड़ा हुआ वह दोष वापिस वात प्रकृति में बदल जाता है !

टीवी की बीमारी में लाभकारी होता है कशिश भस्म


टीवी की बीमारी में शरीर कमजोर दिन प्रतिदिन शरीर की धातुएं कमजोर होती चली जाती हैं ऐसे में कशिश बसम एक से दो चुटकी चवनप्राश एक चम्मच में मिलाकर सुबह-शाम भोजन के 1 घंटे बाद प्रयोग करने से टीवी की शिकायत में बहुत लाभ पहुंचाता है !

 चर्म रोगों को दूर करता है कशिश भस्म


सभी प्रकार के त्वचा से संबंधित विकार में खारिश खुजली दाद एग्जिमा वह सोरायसिस यहां तक कि कुष्ठ तक की बीमारी मे खदीर की छाल एक चम्मच मैं कसीस भस्म एक से दो चुटकी मिलाकर सुबह-शाम खाना खाने के 1 घंटे बाद इस्तेमाल करने से सभी प्रकार के चर्म विकार दूर हो जाते हैं !

 आम विकार में लाभकारी होता है कशिश भस्म


जो लोग मल के रास्ते जिनको आपकी शिकायत आती है और शरीर में कमजोरी बढ़ती जाती है ऐसे लोग अगर बेलगिरी का पाउडर बनाकर एक चम्मच बेलगिरी के पाउडर में एक से दो चुटकी कसीस भस्म मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद दही या लस्सी के साथ प्रयोग करने से आओ की समस्या दूर हो जाती है !

उधर के रोगों में लाभकारी होता है कशिश भस्म


जो लोग पेट में गैस पेट में गोला घूमना पेट में भारीपन या पेट दर्द की समस्याएं या भूख ना लगना किन समस्याओं से परेशान होते हैं  ! ऐसे लोग जब कसीस भस्म को एक चुटकी से दो चुटकी बेल के मुरब्बे में मिलाकर या बेल के एक चम्मच शरबत मैं मिलाकर सुबह-शाम भोजन के 1 घंटे बाद प्रयोग करते हैं तो पेट पेट से संबंधित सभी प्रकार के विकार दूर हो जाते हैं !

 शरीर  की कमजोरी को दूर करता है कशिश भस्म


शरीर की कमजोरी से परेशान लोग जल्दी थकावट महसूस करते हैं !सांस फूलने से परेशान रहते हैं और शरीर हमेशा टूटा हुआ सा महसूस करते हैं  ! ऐसे लोग जब आंवले के मुरब्बे में एक से दो चुटकी कसीस भस्म मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद प्रयोग करते हैं तो उनकी शारीरिक कमजोरी हमेशा के लिए दूर हो जाती है !

 फोड़े फुंसी व नासूर को ठीक करता है कशिश भस्म


जो व्यक्ति फोड़े फुंसी व नासूर जिसे हम फिस्टुला व भगंदर के नाम से जानते हैं उससे परेशान हैं ! ऐसे लोग जब कशिश भसम को देसी घी में मिलाकर लेप बनाकर फोड़े फुंसी व नासूर पर लगाते हैं  ! तो फोड़े फुंसी नासूर कुछ ही दिनों में हमेशा के लिए ठीक हो जाते हैं !

 मसूड़ों से खून आना वह मवाद आना हुआ मुंह से बदबू आना  इनको दूर करता है ! कशिश भस्म


जो लोग मसूड़ों से मवाद आना व मुंह से बदबू आना व पायरिया की बीमारी से परेशान है !  ऐसे लोग  लॉन्ग का पाउडर 10 ग्राम कशिश भस्म 5 ग्राम मिलाकर सुबह शाम मंजन करने से मसूड़ों का मुंह की समस्या हमेशा के लिए ठीक हो जाती है !

 मासिक धर्म खुलकर लाता है कशिश भस्म


जिन महिलाओं को मासिक धर्म खुलकर नहीं आता या मासिक धर्म के समय पेडू में दर्द बहुत ज्यादा होता है ऐसी महिलाएं जब एलुआ पाउडर एक चम्मच में कशिश भसम एक से दो चुटकी मिलाकर सुबह-शाम भोजन के 1 घंटे बाद गर्म दूध के साथ या गर्म पानी के साथ प्रयोग करती हैं तो उनको मासिक धर्म हर महीने खुलकर आने लग जाता है और पेडू में दर्द भी खत्म हो जाता है !

 बुखार को ठीक करता है कशिश भस्म


जो लोग हमेशा बुखार से परेशान रहते हैं कई बार तो बुखार उनका थर्मामीटर में भी नहीं आता है  ! जब ऐसे लोग नेपाली चिरायता पीसकर उसमें एक चम्मच नेपाली चिरायता का पाउडर और एक से दो चुटकी उसमें कशिश भसम मिलाकर सुबह-शाम गर्म पानी के साथ प्रयोग करते हैं तो उनको बुखार की शिकायत दूर हो जाती है !

 लिकोरिया व प्रदर रोग को दूर करता है कशिश भस्म


जिन महिलाओं को सफेद पानी पड़ता है और शरीर में कमजोरी दिन-ब-दिन बढ़ती जाती है  !जब ऐसी महिलाएं आम की गुठली का पाउडर एक चम्मच उसमें एक से दो चुटकी कशिश भसम और उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम भोजन के 1 घंटे बाद प्रयोग करती हैं तो उनकी लिकोरिया से संबंधित व प्रदर रोग की बीमारी हमेशा के लिए दूर हो जाती है !

कसीस भस्म का नुकसान


कसीस भस्म को जब हम जरूरत से ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करते हैं ! तो हमें पेट में भारीपन जी मिचलाना उल्टी आना व चक्कर से संबंधित तकलीफ है तंग करती हैं !

कशिश भस्म का प्रयोग गर्भवती महिलाओं व जो महिलाएं बच्चे को दूध पिलाती हैं ऐसी महिलाओं को कसीस भस्म का प्रयोग नहीं करना चाहिए उनको यह भस्म नुकसान पहुंचा सकती है !


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Wednesday, May 20, 2020


रागी के फायदे

रागी को नचनी-मरुआ, मंडुआ के नाम से भी जाना जाता है।
रागी के अंदर बहुत सारे ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो हमारे शरीर की बीमारी को दूर करने और हमें स्वस्थ बनाए रखने में हमारी मदद करते हैंI और रागी अनाज में गिना जाता है। रागी की तासीर गर्म होती हैI
रागी दो प्रकार की होती है। काली सफेदI


मात्रा 20 से 30 ग्राम  एक समय में प्रयोग कर सकते हैं।

खाने का सही तरीका :
इसको भूनकर दलिया पीसकर आटे के रूप में प्रयोग अच्छा माना जाता है।

खाने का सही समय:
वैसे तो इसे तीनों समय प्रयोग किया जा सकता है। मगर ज्यादातर लोग इसका प्रयोग सुबह नाश्ते में क्या करते हैं।
बहुत से लोग राखी को और गेहूं को और बाजरा मिक्स करके प्रयोग करते हैं।

रागी बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल में लाभकारी
रागी का प्रयोग भोजन में करने से बड़े हुए खराब कोलेस्ट्रोल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है जिससे लकवा दिल के दौरे जैसी समस्या का खतरा नहीं होता हैI

रागी करता है डायबिटीज को कंट्रोल
रागी में पॉलीफेनॉल और फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है। जिससे ग्लूकोज का स्तर बढ़ता  नहीं है। ऐसे में गेहूं काले चने और रागी को बराबर मात्रा में पीस  कर  के रोटी के रूप में प्रयोग करने से लाभ होता हैI

रागी दिलाए चिंता तनाव से छुटकारा
रागी में अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। जिससे रागी को भोजन के रूप में प्रयोग करने से मस्तिष्क को ताकतवर बनाता है। और चिंता अनिद्रा  सिर दर्द और डिप्रेशन आदि रोगों में लाभ मिलता है।

रागी करता है माइग्रेन की बीमारी को दूर।
रागी का प्रयोग दलिया वैरोटी के रूप में प्रयोग करने से आधे सिर की नसों में होने वाली सूजन और कमजोरी को दूर करता है जिससे सिर दर्द माइग्रेन जैसी बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

रागी दिलाए कब्ज से छुटकारा।
रागी में फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है। जिससे है पाचन शक्ति को बढ़ाता है। और भोजन में अन्य अनाज के साथ इस को मिलाकर प्रयोग करने से कब्ज को हमेशा के लिए दूर करने में मदद करता है।

रागी करता है वजन घटाने में मदद
रागी में ट्रिपटोफन एमिनो एसिड होने से यह भूख को कम करता है। और कमजोरी भी नहीं आने देता है। ऐसे में रागी का दलिया सुबह-शाम भोजन की जगह प्रयोग करने से पेट भी भरा हुआ रहता है और वजन भी कम होता जाता है।

रागी करता है हड्डियों का विकास और बनाता है उन्हें ताकतवर।
रागी में कैल्शियम विटामिन डी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इससे भोजन में रागी का प्रयोग करने से दांत हड्डियों को ताकत मिलती है। इससे बच्चों की हड्डियों का विकास होता है जिससे उनकी हाइट बढ़ने में मदद मिलती है।

रागी होता है एनीमिया में लाभकारी।
रागी में लौह तत्व की अच्छी मात्रा पाई जाती है। जिन लोगों के शरीर में खून की कमी हो जाती है अगर इसे वह भोजन में दलिया या रोटी के रूप में प्रयोग करते हैं तो शरीर में होने वाली खून की कमी दूर हो जाती है।

रागी रोकता है उच्च रक्तचाप को
राजू शरीर की नसों में लचीलापन लाता है और उन्हें ताकतवर बनाए रखता है। जिससे नसों पर तनाव पढ़ने से बीपी हाई नहीं होता है ऐसे में भोजन में रागी का प्रयोग करने से उच्च रक्तचाप को ठीक रखा जा सकता है।

रागी बनाए रखें त्वचा को हमेशा
मेथीयोनिन लाइसिन जैसे अमीनो एसिड कैल्शियम और विटामिन डी 3 अच्छी मात्रा में होने के कारण रागी का प्रयोग अन्य अनाज में मिलाकर करने से यह त्वचा पर झुर्रियों को नहीं पड़ने देता है और त्वचा को सुंदर बनाए रखता है।

रागी होता है बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं के लिए फायदेमंद।
रागी में लोहा अमीनो एसिड कैल्शियम अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसलिए दलिया वह रोटी के रूप में प्रयोग करने से बच्चे को दूध पिलाने वाली माताओं के दूध की मात्रा को बढ़ाता है और मां और बच्चे दोनों को पोषण देता हैI

रागी का दलिया बच्चों के लिए पोस्टिक आहार
रागी में कैल्शियम और लौह तत्व अच्छी मात्रा में पाया जाता है जिससे बच्चों की हड्डियां दांत मजबूत रहते हैं और पेट का पाचन ठीक रहता है और शरीर में खून की कमी भी नहीं होती और शरीर स्वस्थ रहता है। ऐसे में बच्चों को रागी का दलिया देना फायदेमंद होता हैI

रागी देता है बार बार मुंह सूखना प्यास लगने से छुटकारा I
सुबह खाली पेट रागी की कांजी का प्रयोग करने से बार-बार प्यास लगना मुंह सूखने से छुटकारा मिलता है।

कमजोरी में रागी का प्रयोग फायदेमंद I
रागी में कैल्शियम विटामिंस अन्य पोषक तत्व होने के कारण 1 दिन में एक बार बलिए के रूप में प्रयोग करने से शरीर में बनी हुई कमजोरी दूर होती है।

बढे हुए  कफ दोष को करता है दूर I
रागी का प्रयोग दलिया या रोटी के रूप में करने से बड़ा हुआ कफ दोष ठीक होकर कफ प्रकृति में में बदल जाता है।

मूत्र रोग मूत्र जलन संक्रमण में लाभकारी है I
नाश्ते में राखी का दलिया या रोटी के रूप में प्रयोग करने से मूत्राशय संक्रमण मूत्र संक्रमण मूत्र में जलन दूर होकर मूत्र खुलकर आता है।

रागी लाभकारी होता है सिलीएक रोग में I
जो लोग लेस युक्त आहार का प्रयोग करने से पेट गैस, पेट दर्द, आंत्र क्रीमी , सूजन, जी मिचलना,  वजन घटना, कमजोरी, जोड़ों में दर्द, चिड़चिड़ापन से परेशान रहते हैं,  वह लोग रागी का दलिया या रोटी के रूप में प्रयोग करते हैं तो लाभ मिलता है ।

नुकसान :
पित्तदोष जिनका बढ़ा हुआ है या पित्त प्रकृति वालों के लिए रागी नुकसानदायक हो सकता है।

जिन लोगों को गुर्दे में पथरी की शिकायत होती है, उन्हें रागी के प्रयोग से बचना चाहिए।